सुप्रीम कोर्ट के जज ने कहा, दूसरे देश जाना बेहतर है
Supreme Court
(अर्थप्रकाश/ बोम्मा रेडड्डी)
नई दिल्ली :: Supreme Court: सुप्रीम कोर्ट ने दूरसंचार मंत्रालय के डेस्क अधिकारी द्वारा संबंधित अधिकारियों को लिखे गए पत्र पर नाराजगी जताई है, जिसमें उनसे टेलीकॉम कंपनियों द्वारा सरकार पर बकाया 92 हजार करोड़ रुपये के एजीआर बकाया को न वसूलने के लिए कहा गया है. कोर्ट ने डेस्क ऑफिसर के साथ-साथ टेलीकॉम कंपनियों को भी अवमानना नोटिस भेजा. इस मामले की सुनवाई के दौरान जस्टिस अरुण मिश्रा ने कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त की. उन्होंने पूछा कि क्या हमें सुप्रीम कोर्ट को हटा देना चाहिए. उन्होंने कहा कि डेस्क ऑफिसर ने उनके आदेशों को ताक पर रख दिया और जज बनने का नाटक किया. यह कहते हुए कि उक्त अधिकारी ने अगले आदेश मिलने तक कोई कार्रवाई नहीं करने के लिए पत्र लिखा है, उन्होंने सरकार से सवाल किया कि वह सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिए गए आदेशों को कैसे खारिज कर सकते हैं। जस्टिस अरुण मिश्रा ने सख्त टिप्पणी करते हुए कहा कि इस देश में न्याय नहीं बचा है. उन्होंने कहा कि इस देश में रहने से बेहतर है कि देश छोड़ दिया जाए. उन्होंने कहा कि उन्हें बहुत कष्ट हो रहा है और लगता है कि इस अदालत में काम न करना ही बेहतर है. उन्होंने सवाल किया कि ऐसी व्यवस्था में कैसे काम किया जाए। अधिकारी को संदेह हुआ कि क्या इस फैसले के पीछे पैसों का एंगल है. उन्होंने कहा कि कोर्ट की अवमानना करने वाले अधिकारी को जेल जाना चाहिए.
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